GST अफसरों की ब्लैक मनी स्कीम: रॉयल्टी बढ़ाकर ‘पहाड़’ भी खरीद लिए!

स्वदेशी टाइम्स, लखनऊ: काली कमाई खपाने को जीएसटी अफसरों ने रॉयल्टी बढ़ाकर पूर्वांचल में पहाड़ खरीद लिए। मिर्जापुर और सोनभद्र में डोलो स्टोन, सैंड स्टोन और लाइम स्टोन के पहाड़ों में पैसा लगाया। एक पहाड़ की औसत रॉयल्टी 20 से 30 करोड़ रुपये सालाना है।  इससे पहले बिल्डर को ढाल बनाकर अकूत कमाई ठिकाने लगा ली।

उत्तर प्रदेश में राज्यकर विभाग के अधिकारियों द्वारा जमीनों में अरबों रुपये निवेश के मामले की फाइल अभी ठीक से खुल भी नहीं सकी है कि एक और मामले ने खलबली मचा दी है। विभाग के कुछ अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने अरबों की अघोषित आय को छिपाने के लिए मिर्जापुर और सोनभद्र में डोलो स्टोन, सैंड स्टोन और लाइम स्टोन से भरपूर पहाड़ ही खरीद डाले। दूसरी तरफ अंबेडकरनगर के बिल्डर के जरिये जमीनों की खरीद-फरोख्त की जांच ने भी तेजी पकड़ ली है। इसके दायरे में कई बड़े अधिकारी भी आ गए हैं।

जीएसटी प्रणाली वर्ष 2017 की दूसरी छमाही में आई। इससे पहले नोटबंदी ने कमर तोड़ दी थी। इसके दो साल बाद कोरोना आ गया, जो आपदा में अवसर बना। विभागीय सूत्रों के मुताबिक इस दौरान हुई अकूत कमाई को सुरक्षित रूप से ठिकाने लगाने के लिए एक तरफ अवध के बिल्डर को ढाल बनाया गया तो दूसरी तरफ विभाग के एक प्रभावशाली गुट ने पूर्वांचल के पहाड़ों में पैसा खपाया।

सिंडिकेट के आने के बाद रेट आसमान पर चले गए

सूत्रों के मुताबिक, इस गुट ने सोनभद्र और मिर्जापुर में पहाड़ खरीदे हैं। सोनभद्र में डोलो स्टोन के पहाड़ हैं। यहां लाइम स्टोन भी है जिसका सीमेंट में इस्तेमाल होता है। कुछ जगह कोयला भी है। पहले यहां डोलो स्टोन का रेट 160 रुपये घनमीटर था। टेंडर से 3000 रुपये घनमीटर तक चला गया। सिंडिकेट के आने के बाद रेट आसमान पर चले गए।

इसी तरह मिर्जापुर में सैंड स्टोन पाया जाता है। इससे सड़कों में पड़ने वाली गिट्टी तैयार की जाती है। पहले इसका रेट 110 रुपये घन मीटर रेट था। ई टेंडर प्रणाली के बाद रॉयल्टी 400 से 1000 रुपये घनमीटर तक पहुंच गई। एक साल में एक लाख घनमीटर से पांच लाख घनमीटर तक खनन पर रॉयल्टी देनी पड़ती है। यानी एक पहाड़ की रॉयल्टी ही औसतन 20 से 30 करोड़ रुपये सालाना है।

इसकी आड़ में अघोषित आय को खपाया गया

सूत्रों के अनुसार, सिंडिकेट टेंडर में रेट दस-बीस गुना बढ़ाकर पहाड़ खरीद रहे हैं। अधिकांश सालभर से पहले ही सरेंडर कर देते हैं। इसकी आड़ में कालेधन को सफेद कर लिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक, पहाड़ों की इस खरीद-फरोख्त में विभाग का एक गुट सक्रिय है। इसकी आड़ में बड़ी संख्या में अघोषित आय को खपाया गया है। इस खेल में कमाई से ज्यादा फोकस अपनी अघोषित आय को खपाना है।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *