सीतानदी मुठभेड़ में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता, Naxalite कमांडर श्रवण और नगरी डिप्टी कमांडर राजेश ढेर

स्वदेशी टाइम्स, कांकेर: कांकेर के तियारपानी जंगलों में सुरक्षा बलों और माओवादी के बीच मुठभेड़ में बड़ी सफलता मिली है। सुरक्षा बलों ने सीतानदी एरिया कमेटी के कमांडर श्रवण और नगरी एरिया कमेटी के डिप्टी कमांडर राजेश को ढेर कर दिया। अभी तक मुठभेड़ में तीन शव बरामद किए गए हैं।

कांकेर जिले के तिरयारपानी और छिंदखड़क के जंगलों में पुलिस नक्सली मुठभेड़ में जवानों को बड़ी सफलता मिली है। सुरक्षा बालों ने मुठभेड़ में तीन नक्सली मारे गए। इसमें एक महिला और दो पुरुष नक्सली शामिल है। तीनों का शव बरामद कर लिया गया है। तीनों नक्सलियों के ऊपर 14 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

कांकेर एसएसपी आई के एसलिसेला ने बताया कि कांकेर जिला गारियाबंद जिला DRG के साथ BSF जवानों की संयुक्त टीम आज सुबह नक्सल आपरेशन के लिए निकली हुई थी। तिरयारपानी के जंगलों में नक्सलियों से जवानों के साथ मुठभेड़ हो गया। इलाके में जब सर्च आपरेशन चलाया गया। मौके से तीन नक्सलियों का शव बरामद हुआ है।
तीनों नक्सलियों के ऊपर 14 लाख रुपये का इनाम घोषित
जिसकी पहचान राजेश उर्फ राकेश हेमला, एसीएम, नगरी एरिया कमेटी/गोबरा एलओएस कमाण्डर पांच लाख का इनाम घोषित था। दूसरा नक्सली सरवन मडकम उर्फ विश्वनाथ उर्फ बुधराम पुनेम एसीएम, सीतानदी/रावस समन्वय एरिया कमेटी- सचिव जिसके ऊपर आठ लाख रुपये का इनाम और तीसरी महिला नक्सली बसंती कुंजाम उर्फ हिडमें पीएम, समन्वय/प्रोटेक्शन टीम मैनपुर-नुआपाड़ा सदस्य जिसके ऊपर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था। मौके से एक नग एसएलआर, एक नग 303 रायफल, एक नग 12 बोर बरामद और अन्य नक्सल सामाग्री बरामद हुआ है।

यह क्षेत्र नक्सलियों का ट्रांजिट रूट
कांकेर एसएसपी आई के एलिसेला ने बताया कि यह क्षेत्र में काफी साल बाद नक्सल मूमेंट देखने को मिला है। यह क्षेत्र नक्सलियों का ट्रांजिट रूट रहा है, जहां से अक्सर बड़े नक्सली आना-जाना करते है। उन्होंने कहा कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों और कठिन मौसम के बावजूद बस्तर में तैनात पुलिस, सुरक्षा बल भारत सरकार और छत्तीसगढ़ शासन की मंशा के अनुरूप और बस्तरवासियों की आकांक्षाओं के अनुरूप  जनजीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए पूर्ण निष्ठा के साथ कार्य कर रहे हैं।

पुलिस महानिरीक्षक ने माओवादी कैडरों से अपील की कि वे यह यथार्थ स्वीकार करें कि माओवाद समाप्ति के कगार पर है। अब समय आ गया है कि वे हिंसा का मार्ग त्याग कर सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ उठाते हुए मुख्यधारा से जुड़ें। यदि वे अवैध और हिंसक गतिविधियाँ जारी रखते हैं, तो उन्हें कठोर परिणाम भुगतने होंगे।

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