सर्पदंश का उपचार: हर साल 58 हजार मौतों का कारण, जानिए बचाव और इलाज के सही तरीके

स्वदेशी टाइम्स, लखनऊ: भारत में हर साल 58 हजार लोगों की सांप के काटने से मौत हो जाती है। यह आंकड़ा तब है जब हमारे यहां रिपोटिंग सिस्टम अच्छा नहीं है। ऐसे में सांप के काटने पर तत्काल एंटीवेनम इंजेक्शन लगवाना ही एक मात्र तरीका है, जिससे व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है, लेकिन सांप के काटने के बाद और अस्पताल पहुंचने तक सर्पदंश के शिकार व्यक्ति और उसके परिजनों को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए, तभी व्यक्ति की जान बचाना एक चिकित्सक के लिए संभव होगा। यह जानकारी सोमवार को डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने दी है।
दरअसल, गोमती नगर स्थित लोहिया संस्थान में सोमवार को स्नेक बाइट इनकमिंग प्रिवेंशन इन यूपी कार्यशाला का आयोजन किया गया था। इस कार्यशाला के दौरान निदेशक डॉ. सीएम सिंह ने उन उपायों को बताया जिससे सर्पदंश के शिकार व्यक्ति की जान को बचाया जा सके। डॉ. सीएम सिंह ने कहा कि यदि किसी को सांप ने काट लिया है, तो उसे शांत रखने में मदद करें, जिससे पीड़ित घबराये नहीं।
यदि पीड़ित घबरा जायेगा, तो उस पर जहर का असर तेजी के साथ होगा। जिस जगह पर सांप ने काटा है उसको स्थिर रखें। अस्पताल ले जाते समय पीड़ित को चलायें नहीं बल्कि किसी वाहन से अस्पताल लेकर जायें। घाव को न काटें या न चूसें और न ही बांधें, इससे जहर और फैले सकता है। बर्फ या घरेलू उपचार न करें, ये बिलकुल भी प्रभावी नहीं हैं। इसके अलावा झाड़-फूंक या ओझा-तांत्रिक पर विश्वास कतई न करें, इससे समस्या बढ़ जायेगी, तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
यूपी में सांप की 18 प्रजातियां जहरीली
डॉ. चंद्रकांत लहरिया ने बताया कि यूपी में 30 प्रकार के सांप पाये जाते हैं, जिनमें से 18 प्रकार के सांप जहरीले होते हैं। इनमें से चार सांपों कोबरा, करैत, रसेल वाइपर और सॉ स्केल्ड वाइपर के काटने पर एंटीवेनम दवा उपलब्ध है, लेकिन इसी दवा से अन्य सांपों के काटने पर भी इलाज किया जाता है, डॉक्टर पीड़ित की जांच कर एंटीवेनम और अन्य दवायें देते हैं, जिससे पीड़ित की जान बचाई जाती है।
उन्होंनें बताया कि सांपों की कुछ प्रजातियां ऐसेी होती है, जिसके काटने पर कोई हानि नहीं होती है, लेकिन यह व्यक्ति स्वयं तय न करें, बल्कि किसी भी प्रकार के सांप के काटने पर तत्काल अपने नजदीकी अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर पीड़ित की जांच के बाद तय करेगा कि एंटीवेनम इंजेक्शन देना है या नहीं। यदि एंटीवेनम इंजेक्शन लगा भी दिया जाये तो उसका कोई नुकसान नहीं होता है।