SC ने किसानों के समर्थन में दाखिल PIL वापिस लेने की दी अनुमति, वकीलों पर दिखाई सख्ती; कहा- पब्लिसिटी स्टंट से…

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स्वदेशीटाइम्स, नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को लगातार विरोध और प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगों पर विचार करने के लिए भारत सरकार को निर्देश देने की मांग वाली अपनी याचिका वापस लेने को कहा है।

साथ ही, सख्ती दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को हिदायत देते हुए कहा कि वे केवल पब्लिसिटी स्टंट के लिए अखबारों के आधार पर इस तरह की याचिका दायर करने से बचें। यह एक बहुत ही जटिल मुद्दा है, इसे लेकर प्रचार करने की कोशिश न की जाए।

याचिका में करना चाहते हैं संशोधन

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने सिख चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रबंध निदेशक, याचिकाकर्ता एग्नोस्टोस थियोस को अपनी याचिका वापस लेने को कहा, जिसमें केंद्र और कुछ राज्यों द्वारा शांतिपूर्वक विरोध कर रहे किसानों के अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। सुनवाई की शुरुआत में ही थियोस के एक वकील ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, क्योंकि वह अपनी याचिका में संशोधन करना चाहते हैं।

‘अगली बार सावधान रहें’

न्यायमूर्ति कांत ने वकील से कहा, “ये बहुत गंभीर मुद्दे हैं। केवल प्रचार के लिए अखबारों की रिपोर्टों के आधार पर ये याचिकाएं दायर न करें। केवल उन व्यक्तियों को ये याचिकाएं दायर करनी चाहिए, जो गंभीर और प्रतिबद्ध हैं।” पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को पता होना चाहिए कि उच्च न्यायालय पहले ही इस मुद्दे पर कुछ निर्देश पारित कर चुका है। पीठ ने वकील से कहा, “अगली बार सावधान रहें। अपना खुद का शोध करें, ये जटिल मुद्दे हैं।”

केंद्र और राज्य सरकार पर लगाया आरोप

थियोस ने अपनी याचिका में दावा किया कि कई किसान यूनियनों द्वारा अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन के आह्वान के बाद केंद्र और कुछ राज्यों ने धमकी जारी की है और राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं को मजबूत कर दिया है।

किसानों को जबरन अरेस्ट किया

इसमें कहा गया, “याचिकाकर्ता उन किसानों के हित में परमादेश की मांग कर रहा है, जो अपने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में अनुचित व्यवहार का सामना कर रहे हैं।” इसमें दावा किया गया कि कुछ प्रदर्शनकारियों को विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा गिरफ्तार किया गया , जबरन हिरासत में लिया गया और केंद्र ने सोशल मीडिया खातों को अवरुद्ध करने, यातायात का मार्ग बदलने और सड़कों को अवरुद्ध करने सहित अनुचित रूप से निषेधात्मक उपाय लागू किए।

कई राज्य सरकारों को घेरा

इसमें आरोप लगाया गया कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों ने किसानों के खिलाफ आंसू गैस, रबर की गोलियों और छर्रों का इस्तेमाल करने जैसे आक्रामक और हिंसक उपाय अपनाए हैं, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। याचिका में दावा किया गया है कि चिकित्सा सहायता के अभाव में चोटें बढ़ गईं और कई लोगों की मौत भी हो गई।

 

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