सड़क निर्माण का कार्य बेहद धीमी रफ्तार के चलते ग्रामीण मरीजों को स्ट्रेचर के सहारे लाने को मजबूर

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स्वदेशी टाइम्स, पिथोरागढ़: मुनस्यारी का पातों गांव सड़क से नहीं जुड़ा है। यहां के लोगों को सड़क तक पहुंचने के लिए आठ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। किसी के बीमार पड़ने या घायल होने पर डोली या स्ट्रेचर पर रखकर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है।

मुख्यमंत्री की घोषणा के 11 साल बाद भी मुनस्यारी का पातों गांव सड़क से नहीं जुड़ा है। यहां के लोगों को सड़क तक पहुंचने के लिए आठ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। किसी के बीमार पड़ने या घायल होने पर डोली या स्ट्रेचर पर रखकर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है। ऐसे ही मामले में ग्रामीणों ने शुक्रवार को चट्टान से गिरकर घायल हुई महिला को स्ट्रेचर पर रखकर सड़क तक पहुंचाया।

सीमांत क्षेत्र के पातों गांव निवासी गोमती देवी (55) पत्नी खीम सिंह जानवरों के लिए चारा लेने जंगल गई थीं। इसी बीच वह चट्टान से गिर कर घायल हो गईं। ग्रामीणों ने घायल महिला को स्ट्रेचर के सहारे करीब आठ किमी पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया। वहां से एंबुलेंस 108 की मदद से उन्हें सीएचसी मुनस्यारी लाया गया। चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद कंधा एवं जांघ की हड्डी में फ्रेक्चर होने के चलते उन्हें हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया। परिजन हेली से उन्हें हल्द्वानी ले जाना चाहते थे लेकिन खराब मौसम के कारण उन्हें जिला चिकित्सालय ले जाया गया।

बता दें कि 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पातों गांव पहुंचकर सड़क बनाए जाने की घोषणा की थी। सड़क कटिंग का कार्य शुरू भी हुआ लेकिन धीमी रफ्तार के चलते ग्रामीण मरीजों को डोली, स्ट्रेचर के सहारे लाने को मजबूर हैं।

गांव के सामाजिक कार्यकर्ता हरीश दरियाल ने कहा कि सड़क निर्माण की गति बेहद धीमी होने के चलते मरीजों को डोली के सहारे सड़क तक पहुंचाने में मशक्कत करनी पड़ रही है। उन्होंने सरकार से सड़क निर्माण में तेजी लाने का अनुरोध किया है।

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